उत्तर प्रदेश का प्रमुख तकनीकी विश्वविद्यालय, डॉ. एपीजे अब्दुल कलाम टेक्निकल यूनिवर्सिटी (AKTU), हाल ही में अपने छात्रों के लिए एक चौंकाने वाली खबर लेकर आया है। विश्वविद्यालय द्वारा जारी किए गए नए दिशा-निर्देशों के अनुसार, लगभग 6000 छात्रों को शून्य अंक दिए जाने का फैसला किया गया है। यह फैसला उन छात्रों पर लागू होगा जिन्होंने कुछ महत्वपूर्ण नियमों का उल्लंघन किया है।
क्या है पूरा मामला?
एकेटीयू ने हाल ही में अपनी परीक्षा प्रणाली में कुछ नए सख्त मानदंड लागू किए हैं। यह कदम विश्वविद्यालय की परीक्षा प्रक्रिया में पारदर्शिता और अनुशासन बनाए रखने के उद्देश्य से उठाया गया है। जिन छात्रों ने परीक्षा से संबंधित नियमों का उल्लंघन किया है, उन्हें परीक्षा में शून्य अंक दिए जाने का प्रावधान है।
छात्रों को शून्य अंक क्यों मिलेंगे?
इस फैसले का मुख्य कारण यह है कि इन छात्रों ने परीक्षा में कुछ ऐसे नियमों का उल्लंघन किया है, जो विश्वविद्यालय द्वारा स्पष्ट रूप से निषिद्ध थे। इनमें शामिल हैं:
- परीक्षा के दौरान अनुचित साधनों का प्रयोग
- नकल करने का प्रयास
- निषिद्ध सामग्री का प्रयोग
- उचित समय पर उत्तर पुस्तिकाओं का न जमा करना
- कई छात्रों ने समय पर अपनी उत्तर पुस्तिकाएँ जमा नहीं कीं, जो विश्वविद्यालय के नियमों के खिलाफ है।
- प्रोजेक्ट और असाइनमेंट्स में देरी
- छात्रों द्वारा समय पर प्रोजेक्ट और असाइनमेंट जमा न करना भी इस फैसले का एक बड़ा कारण है।
परीक्षा नियमों का उल्लंघन कैसे हुआ?
AKTU ने यह स्पष्ट किया है कि इन छात्रों ने परीक्षा के दौरान कदाचार (malpractice) का सहारा लिया था। इसके अंतर्गत नकल, मोबाइल फोन का प्रयोग, और परीक्षा हॉल में अन्य प्रतिबंधित साधनों का इस्तेमाल शामिल है। विश्वविद्यालय प्रशासन का कहना है कि परीक्षा में अनुशासन को बनाए रखने के लिए यह कदम आवश्यक था।
AKTU : TCS में 1632 छात्रों का चयन
छात्रों पर इसका क्या असर पड़ेगा?
6000 छात्रों को शून्य अंक दिए जाने से उनका साल खराब हो सकता है। उन्हें अब अपनी परीक्षाओं को फिर से देना होगा, जिससे उनके स्नातक होने में देरी हो सकती है। इस फैसले से छात्रों में भारी निराशा और आक्रोश है, और कई छात्र इस फैसले के खिलाफ अपील करने की तैयारी कर रहे हैं।
विश्वविद्यालय की प्रतिक्रिया
AKTU ने इस पूरे मामले पर अपनी प्रतिक्रिया देते हुए कहा है कि उन्होंने यह कदम उठाया है ताकि छात्रों में ईमानदारी और अनुशासन बना रहे। विश्वविद्यालय ने स्पष्ट किया है कि परीक्षा के दौरान किसी भी तरह की धोखाधड़ी को बर्दाश्त नहीं किया जाएगा।
छात्रों की प्रतिक्रिया
इस फैसले के बाद छात्रों में असंतोष व्याप्त है। कुछ छात्रों का कहना है कि उन्हें बिना किसी उचित कारण के शून्य अंक दिए गए हैं। कुछ का यह भी दावा है कि तकनीकी कारणों से उनकी उत्तर पुस्तिकाएँ समय पर जमा नहीं हो सकीं, और उन्हें बिना उनकी गलती के दंडित किया गया है।
समस्याओं का समाधान: अपील की प्रक्रिया
विश्वविद्यालय ने यह भी बताया है कि जिन छात्रों को लगता है कि उनके साथ अन्याय हुआ है, वे विश्वविद्यालय के अपील फॉर्म भर सकते हैं। इस प्रक्रिया के तहत छात्रों की समस्याओं की जांच की जाएगी और यदि कोई गलती पाई जाती है, तो उनके अंकों में सुधार किया जा सकता है।
क्या यह कदम सही है?
यह कदम छात्रों के अनुशासन और शिक्षा की गुणवत्ता को बनाए रखने के उद्देश्य से उठाया गया है। हालांकि, यह देखा जाना बाकी है कि यह फैसला छात्रों की भविष्य की पढ़ाई और करियर पर किस हद तक प्रभाव डालेगा।
FAQs
- छात्रों को जीरो नंबर क्यों दिया गया?
- छात्रों को परीक्षा के नियमों का उल्लंघन करने के कारण शून्य अंक दिए गए हैं, जैसे नकल करना या उत्तर पुस्तिकाएँ समय पर न जमा करना।
- क्या छात्र इस फैसले के खिलाफ अपील कर सकते हैं?
- हां, विश्वविद्यालय ने अपील की प्रक्रिया शुरू की है जहाँ छात्र अपना पक्ष रख सकते हैं।
- क्या यह फैसला छात्रों के करियर पर प्रभाव डालेगा?
- जी हां, यह उनके स्नातक होने में देरी कर सकता है और करियर पर भी असर डाल सकता है।
- कितने छात्रों को जीरो नंबर दिया गया है?
- लगभग 6000 छात्रों को जीरो नंबर दिया गया है।
- AKTU का यह कदम क्यों महत्वपूर्ण है?
- यह कदम शिक्षा में पारदर्शिता और अनुशासन बनाए रखने के लिए आवश्यक है, ताकि भविष्य में छात्र परीक्षा के नियमों का पालन करें।
Pingback: AKTU : TCS में 1632 छात्रों का चयन - AKTU One View
Pingback: UP Tablet Yojna 2024 : 15 लाख टैबलेट और बांटने का आदेश - AKTU One View